The best Side of कोकिला-व्रत-कथा

टूरिस्ट डेस्टिनेशंसयह देश दे रहा है अपने नागरिकों को देश छोड़ने का ऑफर, साथ में देगा ढेर सारे पैसे भी, क्यों पर?

इसके बाद माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें। साथ ही शिवजी का दूध और गंगाजल के साथ अभिषेक करें।

भस्म आरती में भगवान गणेश के स्वरूप में सजे श्री महाकालेश्वर

यह जन्म से ब्राह्मण लेकिन कर्म से असुर था और अरब के पास यवन देश में रहता था। पुराणों में इसे म्लेच्छों का प्रमुख कहा गया है।

वहां पहुंच कर देवी सती को मान नहीं मिला और वहां उन्होंने भगवान शिव का अपमान होते देखा। इससे आहत होकर उन्होंने यज्ञ की अग्नि में आहुति दे दी।

जानिए मंगला गौरी व्रत पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य कुछ खास बातें

विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ को भांग, धतूरा, बेलपत्र, और फल अर्पित करें।

देवी सती read more का जन्म राजा दक्ष की बेटी के रुप में होता है। राजा दक्ष को भगवान शिव अत्यधिक अप्रिय थे। राजा दक्ष एक बार यज्ञ का आयोजन करते हैं। इस यज्ञ में वह सभी लोगों को आमंत्रित करते हैं ब्रह्मा, विष्णु व सभी देवी देवताओं को आमंत्रण मिलता है किंतु भगवान शिव को नहीं बुलाया जाता है।

मंत्र: महामृत्युंजय मंत्र, संजीवनी मंत्र, त्रयंबकम मंत्र

हेल्थझाग वाला पेशाब, धार कम होना, फेल होने वाली आपकी किडनी, ये पहला संकेत न करें इग्नोर

अमेठीरेलवे रिजर्वेशन करा रहे हैं तो जरा रखिएगा ध्यान, गोरखपुर की बजाए कहीं अमेठी की ट्रेन ना पकड़ लीजिएगा

भगवान शिव की पूजा के लिए सफेद, लाल फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूर्वा, दीपक, धूप और अष्टगंध का इस्तेमाल जरूर करें।

कोकिला व्रत पति पत्नी के परस्पर सहयोग और समर्पण को दर्शाता है। महिलाएं ये व्रत पति के लंबे साथ और मधुर दांपत्य जीवन की मान्यता से रखती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं इस व्रत को विधिवत रूप से अच्छा जीवन साथी पाने की कामना से करती हैं।

यह व्रत आषाढ़ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15

Comments on “The best Side of कोकिला-व्रत-कथा”

Leave a Reply

Gravatar